गुरुवार, 3 जनवरी 2013

राज ठाकरे जी, कृष्ण भगवान भी यू पी के थे!

राज ठाकरे जी, कृष्ण भगवान भी यू पी  के थे!
  
आपको बताना चाहता हूँ कि कृष्ण भगवान यू पी के थे और आपकी विदर्भ ( महाराष्ट्र) की राजकुमारी रुक्मिणी को चुराकर ले गए थे फिर भी आप दही हांडी को राजनीतिक त्यौहार की तरह मनाते हो। आपके रामचंद्र जी भी यू पी के थे और सीताजी ( नितीश जी सुन रहे हैं न) मिथला बिहार की थीं। नासिक में पंचवटी में आकर वो बस गए थे तब आपने आपत्ति क्यों नहीं की?

शायद ये पत्र आपको और आपके समर्थकों को पसंद नहीं आएगा लेकिन यह  निर्विवाद  रूप से सच है कि भारत में हमेशा से बाहरी लोग आते रहे और यहाँ के हो गए, यह क्रम शिवाजी भी रोक नहीं सके। पारसी लोग अब भारत में ही बचे हैं, मुंबई में उनका बाहुल्य है। दक्षिण भारतीय, राजस्थानी, पंजाबी, सिन्धी, और भैया सभी यहाँ आये और प्रदेश की तरक्की और खुशहाली में सबका बराबर का हाथ है। हम मारवाड़ी के बिना बिजनिस के बारे में सोच नहीं सकते, गुजराती के बिना उद्योग चल नहीं सकते दक्षिण भारतीय अपनी कला कौशल के लिए प्रसिद्द हैं, और भैया मेहनत करके कमाने के लिए मशहूर हैं और देश के हर कोने में पाए जाते हैं।एक बार आप हमको भैया कह दीजिये तो आपसे बड़े भाई का रिश्ता हो जाता है, हमारे यहाँ छोटे भाई को भैया और बड़े को भाई साब कहते हैं, इस तरह आप हमारे भाई साब हो ही गए, फिर गुस्सा काहे का?

अब हम छोटे भैया आपको सलाह देना चाहत हैं कि आप अपने चाचा जी के मुकाम तक इतनी जल्दी पहुंचना चाहते हैं कि अपनी क़ाबलियत में अनुभव के साल नहीं जोड़ना चाहते, आपका तरक्की बहुत होगा थोडा इंतज़ार तो कीजिये ।आप अपने चाचाजी से ऊँचे मुकाम के काबिल हैं, इसमें कोई शक नहीं, पर आप नितीश जी को ये सब कहकर नाम कमाने का मौका क्यों देते हैं? गुजरात ने इतनी जल्दी तरक्की की, इस का सबसे बड़ा कारण यही है कि गुजराती भाई सभी देशवासियों को हाथों हाथ बुलाते हैं। नरेंद्र मोदी का एक एस एम एस "वेलकम टू गुजरात" नैनो को ले आया और आज अहमदाबाद ऑटो कम्पनी के लिए हब बन रहा है। मुझे याद है जब सूरत में प्लेग फैला तब सभी उड़िया कामगार पलायन कर गए थे तब चिमन भाई पटेल भुबनेश्वर गए और विजू पट नायक से बोले गुजरात में सब ठीक है, हमारे भाइयों को आने दो।  इस तरह के पचास उदहारण मिलेंगे कि कोई भी शहर या गाँव किसी एक जाति या धर्म का नहीं रह सकता,नहीं तो गाँधी जी गुजरात को ही आजाद कराते, शिवा  जी महाराज महाराष्ट्र के बाहर की सोचते ही नहीं, रानी लक्ष्मी बाई, झाँसी की न कहलाकर मराठी ही कहलाती। नाना साहेब बिठूर (कानपूर) के कहे जाते हैं जबकि वो भी पेशवा थे।

भारत की गंगा जमनी संस्कृति को न तो कोई नुक्सान पहुंचा सका न पहुँचा सकेगा। ये कुछ दिन का जलजला है, पानी अपना स्तर खुद ढूंढ लेगा। जहाँ अकबर को मीराबाई के सामने झुकना पड़ा, सिकंदर महान भी जाने लगा तब उसको भूख लगी लोगों ने उसे सोना दिया तब उसने कहा जब मेरी अर्थी निकले तो हाथ बाहर रखना कहना सिकंदर इस दुनियां में खाली हाथ आया और खाली हाथ गया। मदर टेरेसा ने भारत की भूमि को अपनाया और हमने उन्हें भारत रत्न से नवाज़ा। सिस्टर निवेदिता, जिम कोर्बेट, सबने भारत को गरिमावान कहा। और हम छोटे छोटे प्रदेश के आधार पर कैसे झगड़ सकते हैं?

अब बात राजनीति की, महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस का शासन है फिर मनसे की तूती कैसे बोलेगी? देश में भी यु पी ए की सरकार है, वो हाथ पे हाथ रखे कैसे बैठ सकते है? महाराष्ट्र और केंद्र सरकार दोनों को इस जिम्मेदारी से बाहर नहीं किया जा सकता। 

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